कभी देख, कैसे ये नया लगेगा।
छोटी-छोटी यादों के सफर में,
हर मोड़ पर, एक नया सिरे से बनेगा।
फिर से गुज़ारिश कर, बुन ले खुद को,
कभी हंसते हुए, कभी आंसू में ढलेगा।
किसी शाम के साए में, खो जायेगा,
फिर से यही राग, एक नई गूंज में चलेगा।
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