Wednesday 16 March 2016

#Surge Musings: तोहफा - The Gift

























शायर: नारायण-चन्द्र रऊफ

दो दिलो के सिरे यूँ ही तो नहीं सिलते
जोड़ना उनको है तोहफों से नहीं जुड़ते

कन्ने मेरे रहेगा तोहफा तेरे नाम का
हुदूद किसी को न देने की नहीं हिलते

ये कैसे भाग मेरे करमो से चिपके है
मुहोब्बत के दिये मेरे नहीं जलते

निहारो न तुम आँखों को  मेरे सामने
के बुझाने से उमंगें नहीं बुझते

चिकते कैसे यह लिबास में  है दागे
मिटाने की कोशिश है नहीं मिटते

गिरते ज़ुल्फ़ों की बात क्या कहिये
गूंथने पर दिल से नहीं गिरते

किस्सा मेरा उसका बस इतना है "रऊफ"
दो दरिया के किनारे है जो नहीं मिलते



Friday 11 March 2016

#VijayMallya Case Musings: Libas-Al-Kitab

Deeksha Seth in Lovely Half Sleeves Blue T-Shirt and Black Denim UHQ Pics Must see Penned By Narayan-Chandra Rauf

शायर: नारायण-चन्द्र रऊफ

मेरे सवाल का जवाब मेरे सामने था
कल हुस्न-ए -माहताब मेरे सामने था

खुली किताब थी बयाँ हो रही थी आशिकी
पढ़ रहे थे लोग नया बाब मेरे सामने था

मुस्कान उनकी बचा ले गयी मुझे वर्ना
आबजू सामने सैलाब मेरे  सामने था

किसी और नाज़नीन पे नज़र क्यों जाये
माबूद मेरा माहताब मेरे सामने था

नीले काले लिबास पहने खड़ा वो सामने था
जैसे लिबास-अल-किताब मेरा सामने था

Tuesday 1 March 2016

Panchatantra Krist Ki: Salgirah, The Birthday Bash



Penned By Narayan-Chandra Rauf

शायर: नारायण-चन्द्र रऊफ 

आँखों को वीसा या पासपोर्ट नहीं लगता 
बंद आँखों से चला जाता हूँ मिलने 
सपनो के सरहदों पे पहरा नहीं लगता 
सुनता हूँ उसके आवाज़े तुतलाते है 
पैमाने भर भर हम छलकाते है 

खिल रही मुस्काने उसके गालों में 
देख रहे सपने हम ख्यालों में 
सपनो के सरहदों पे पहरा नहीं लगता 
आँखों को वीसा या पासपोर्ट नहीं लगता ...

उम्मीद कि इक झलक सालगिराह की दिखला जा 
मोम  से नर्म  दिल मेरा पिघला जा 
हक़ीक़ते काटों जैसी चुभती है 
अच्छा यही आँखों में सपना दिखला जा 

सुनता हूँ उसके आवाज़े तुतलाते है 
पैमाने भर भर हम छलकाते है ... !

Roman Script

Ankhon ko visa ya passport nahi lagta
band ankhon se chala jaata hoon milne 
sapno ke sarhadon pe pehra nahi lagta
sunta hoon uske awaz ko tutlate hai
paimane bhar bhar hum chalkate hai

Khil rahi muskane uske galon mein
dekh rahe they sapne khayalon mein
Sapno ke sarhadon pe pehra nahi lagta
Ankhon ko visa ya passport nahi lagta ...

Badi ummeed zhalak salgirah ki dikhla jaa
Mom se narm dil mera pighala jaa
Haqeekate katon jaisi chubhati hai
Achcha hai needon mein sapna dikhla jaa

sunta hoon uske awaz ko, tutlate hai
paimane bhar bhar hum chalkate hai

Reason For The Poem
Nothing much to explain ... the poem says it all ... 

Paimane here means Eyes

इस नज़्म में पैमाने का मतलब आँखे है