Sunday, 3 April 2016

माइका - The Maternal Home


Penned By Narayan-Chandra Rauf

शायर: नारायण-चन्द्र रऊफ 

यह क्या एक-ब-एक हो गया किस्सा शोख
जितना देखो उसे वो प्यारी लागे
रहने आई है दो-चार दिन माइके
बिहाई नहीं अब कवारी लागे

चले जा रही अकेली न डर न फ़िक्र कोई
के साया उसको अब पस-ए-दीवार लागे
ज़िन्दगी के हर एक पल हर एक लम्हा
उसको अब दमकदार लागे

देखने में तो परी "रऊफ" बड़ी अच्छी लागे
अब्र पे जैसे चाँदनी इक शहकार लागे
रोशनी छेड़ रही है  उजालों के खूतूत
सितारें अब उसके सामने बेकार लागे

(Incomplete)



Reason for the poem

Women look most happiest & beautiful when they r @ maternal home ... and so is the case with my ‪#‎love‬ ... recently she was in #Chennai

Don't miss an opportunity to know my personality ... my story ... about my book Chandini - You Are All My Reasons ...

So what u r waiting for click here:https://www.facebook.com/Chandini-You-are-all-my-reasons-1000671170022830/

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