Thursday, 21 July 2016

DRT-Wipro Musings - Zindagi


Egk pies
शायर: नारायण-चंद्र रऊफ

Penned By Narayan-Chandra Rauf

ज़िंदगी है क्या क्या गुल खिलाता
ना तुम जानो ना हम
पत्थरों में नुमु उगाता
ना तुम जानो ना हम

ज़िंदगी है, क्या क्या गुल खिलाता
ना तुम जानो ना हम
पराए में अपने मिलाता
ना तुम जानो ना हम

ज़िंदगी है क्या क्या गुल खिलाता
ना तुम जानो ना हम
करीब होके दूरिया बढ़ता
ना तुम जानो ना हम

ज़िंदगी है क्या क्या गुल  खिलाता
ना तुम जानो ना हम
ढलती उम्र में इश्क़ जगाता
ना तुम जानो ना हम

ज़िंदगी है क्या क्या गुल  खिलाता
ना तुम जानो ना हम
बिछड़ो को रऊफ फिर कब मिलाता
ना तुम जानो ना हम

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