I humbly request Grammy Winner Ricky Kej to compose music for:
Penned By Narayan-Chandra Rauf
शायर: नारायण-चंद्र रऊफ
काली परछाईयों से रिहाई ना हो सकी
इस रात की परदा-कुशाई ना हो सकी
यु तो दिल से उतारा था कई दफे उसको
पराया करना चाहा परायी ना हो सकी
जो बज़्म से उट्ठे राह मे ज़्यादा गुफ्तुगू ना की
बुराई करनी चाही उनकी बुराई ना हो सकी
शुक्रगुज़ार हूँ इस ना-चीज़ को इस काबिल समझा
मुह-भराई चाही उनकी मूह-भराई ना हो सकी
Reason behind these couplets
It was at Fortis Hospitals event ... I wouldn't say much .... the couplet says it all
जो बज़्म से उट्ठे राह मे ज़्यादा गुफ्तुगू ना की
बुराई करनी चाही उनकी बुराई ना हो सकी
This one was inspired by an incident .... wouldn't throw much light on it ... the couplet gives some glimpse of what happened
शुक्रगुज़ार हूँ इस ना-चीज़ को इस काबिल समझा
मुह-भराई चाही उनकी मूह-भराई ना हो सकी
Penned By B D Narayankar
Kali parchayion se rihayi na ho saki
is raat ki parda-kushayi na ho saki
Yu toh dil se utaara tha kayi dafe usko
paray karna chaha parayi na ho saki
Jo bazm se uthe raah mein zyadguftugu na ki
buraai karni chahi unki buraai na ho saki
Shukraguzar hu is na-cheez ko is kabil samjha
muh-bharayi chahi unki muh-bharai na ho saki
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