शायर: नारायण-चन्द्र रऊफ - उर्फ़ बी डी नारायंकर
Penned By Narayan-Chandra Rauf - Alias B D Narayankar
अब लब पे वो आह वो खौलता फरियाद नहीं
तेरे नादानियों का अब मुझे कुछ याद नहीं
ज़िन्दगी के माईने बे-रंग है बड़े मेरे हबीब
जो तेरा साया और काया मेरे साथ नहीं
आती है खुशबु यादों की गलियों से उनकी
शायद उम्मीद मेरी अभी बर्बाद नहीं
ऐसे भी सुबह कभी गुज़री है के 'रऊफ'
उसका अक्स-ए-रू आता मुझे याद नहीं
Aati hai kushbu yadon ki galiyon se unki
sayad ummeed meri abhi barbaad nahi
आती है खुशबु यादों की गलियों से उनकी
शायद उम्मीद मेरी अभी बर्बाद नहीं
ऐसे भी सुबह कभी गुज़री है के 'रऊफ'
उसका अक्स-ए-रू आता मुझे याद नहीं
Roman Script
Ab lab pe wo aah wo khaoulta fariyad nahi
Tere nadaniyo ka ab humey kuch yaad nahi
Zindagi ke maine be-rang hai bade mere habeeb
jo tera saya aur kaya mere sath nahin
sayad ummeed meri abhi barbaad nahi
Aise bhi subah kabhi guzari hain ke 'Rauf'
uska aks-e-ru ataa mujhe yaad nahi
No comments:
Post a Comment