Penned By Narayan-Chandra Rauf - Alias B D Narayankar
शायर: नारायण-चन्द्र रऊफ - उर्फ़ बी डी नारायंकर
वो मेरे इश्क़ में ऐसी दीवानी हुई
जैसे रॉव के इश्क़ में मस्तानी हुई
बस इतना सा अफ़साना अपना हुआ
बस इतना सा अफ़साना अपना हुआ
तक़दीर हम दोनों से बेगानी हुई
उठा लाये सैकड़ो कलियाँ गुलिस्तां से हम
कांटे कुछ और चुभें और हैरानी हुई
खता यह बार बार हम से क्यों होती है 'रऊफ'
खता यह बार बार हम से क्यों होती है 'रऊफ'
जिस से जा मिलूँ लगे शक्ल पहचानी हुई
Penned By Narayan-Chandra Rauf
Woh mere ishq mein aisi deewani huyi
jaise Rao ke ishq mein mastani huyi
Bas itna sa afsaana hamara huya
taqdeer hum dono se begani huyi
Utha laye saikado kaliya gulistan se hum
kante kuch aur chubhe aur hairani huyi
Khata yeh baar baar hum se kyon hoti hai 'Rauf'
Jis se ja miloon lage shakl pehchani huyi
kante kuch aur chubhe aur hairani huyi
Khata yeh baar baar hum se kyon hoti hai 'Rauf'
Jis se ja miloon lage shakl pehchani huyi
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