Tuesday, 26 January 2016

गीत - The Song

Penned By Narayan-Chandra Rauf 

शायर: नारायण-चंद्र रऊफ 

बिछड़ के मुझसे वो कहाँ जुदा होता है 
होंठों पर गीतों से एक नाम जुड़ा होता है 

छेड़ती हैं मुझे यह मस्त निगाहे क्या क्या 
जब उनमें काजल कभी रात फना होता हैं 

सुनते है सभी साज़-ए-उल्फत की नवा
याद में  उनकी दिल नगमा-सरा होता है 

बस अपने ही धुन में रहती है दुनिया 
ना वो किसी का इलाज़ ना दवा होता है 

रिश्ता यह तेरा मेरा न टूटेगा हरगिज़   
जिस्म साये से भला कब जुदा होता है 

इश्क़ की गलियों से न जाना "रऊफ"
अंजाम उसका बुरा, बस बुरा होता है 


Reason for this -

बिछड़ के मुझसे वो कहाँ जुदा होता है 
होंठों पर गीतों से एक नाम जुड़ा होता है 

Was eager to attend Wipro event, but had to interview Union Minister Ram Vilas Paswan ... hence the above couplet

Reason for this -

बस अपने ही धुन में रहती है दुनिया 
न वो किसी का इलाज़ न दवा होता है 

Most Journalists in Bangalore are mostly self-centered ... they are least bothered of anybody around ... they simply are a showoff, showing concerns for others ... but aren't ... You wouldn't find them going out of their way to help anyone


There are few, though

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