शायर: बी डी नारायंकर
शीशों के दरवाजे पीछे
घने शाखों के नीचे
बाहर में
गिरती बारिश के बूंदे हैं
चुपके से टिप टिप टिप टिप
शोर अजीब करीब हैं
लोग भी हैं
बातें कर रहे हैं
इसी शोरगुल के पीछे
किसी एक कोने में,
मेरे अंदर
बड़े खामोशी से गिर रही हैं
यादें तुम्हारी!
Penned By B D Narayankar
शीशों के दरवाजे पीछे
घने शाखों के नीचे
बाहर में
गिरती बारिश के बूंदे हैं
चुपके से टिप टिप टिप टिप
शोर अजीब करीब हैं
लोग भी हैं
बातें कर रहे हैं
इसी शोरगुल के पीछे
किसी एक कोने में,
मेरे अंदर
बड़े खामोशी से गिर रही हैं
यादें तुम्हारी!
Penned By B D Narayankar
Shishon ke darwaje peechche
Ghane shaakhon ke neeechche
Bahar mein
Girtee baarish ke bunnde hain
Chupke sey tip tip tip tip
Shor ajeeb kareeb hain
Log bhi hain
Baatein karr rahe hain
Iss shorgul ke peeche
Kisi ek kone mein,
mere anndar
Bade khamoshi se girr rahe hain
yaadein tumhari!
Translated By B D Narayankar
Behind the glass doors
underneath the thick branches of trees
In spring,
Falls the droplets of rain,
quietly
There is strange noise nearby
There are people
They are talking
Behind the chaotic noise
Somewhere in one corner,
somewhere within me
falls your absence,
quietly!
PLEASE FIND AN OPPORTUNITY TO READ http://socraticnarayakar.blogspot.in/
No comments:
Post a Comment