Monday, 19 January 2015

कहाँ ओ तुम - Where Are You?


शायर: बी डी नारायंकर

कहाँ छुपा रक्खी हैं यह रातें?
कहाँ छुपा रक्खी हैं, 
इन हाथों की खुश्बू?
कहाँ हैं तुम्हारे लरज़ते ज़ुल्फ?
कहाँ हो तुम?

कहाँ हो तुम आज?
ना जाने क्यों दिन-ब़-दिन यह तन्हाई 
चल रही हैं मेरे साथ?

कहाँ छुपा रक्खी हैं यह रातें?
कहाँ छुपा रक्खी हैं, 
इन हाथों की खुश्बू?
कहाँ हैं तुम्हारे लरज़ते ज़ुल्फ?
कहाँ हो तुम?

कहाँ हो तुम आज?
ना जाने क्यों दिन-ब़-दिन यह तन्हाई 

चल रही हैं मेरे साथ?

Penned By B D Narayankar

Kahan Chupaa Rakkhi Hain Yeh Raatein?
Kahan Chupaa Rakkhi Hain, 
Inn Haathon Ki Khusboo?
Kahan Hain Tumhare Laraztey Zulf?
Kahan Ho Tum?

Kahan Ho Tum Aaj?
Na Jaane Kyon Din-Ba-Din Yeh Tanhaayi 
Chal Rahee Hain Mere Sath?

Translated By B D Narayankar

Where have you hidden the nights?
Where have you hidden the fragrance of your hands?
Where are your wavering curls?
Where are you?
Where are you, now?
Why is this loneliness walking with me, by and by?

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